Karwa Chauth varat 2022 कब है 13 या 14 को ?

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  Karwa Chauth 2022 Date :-   करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के जम्मू, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती स्त्रियाँ मनाती हैं।  करवा चौथ के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और रात को चांद देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं. Karwa chout varat 2022 Karwa Chauth 2022:  हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को पड़ रहा है. करवा चौथ के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और रात को चांद देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं.इस साल करवा चौथ पर शुक्र अस्त होने का प्रभाव है। इसलिए कहा जा रहा है कि पहली बार करवा चौथ रखने वाली महिलाएं इस बार से शुरुआत न करें। क्योंकि यह शुभ नहीं माना जा जा रहगा है । Karwa Chauth varat 2022 Kab hai : हिंदू पंचांग की गणना के अनुसा...

4th Day navratri 2021 - चौथे दिन होती है माँ कुष्‍मांडा कि पूजा आईये जानते है कैसे करें पूजा अर्चना और आरती

 4th Day navratri 2021 - चौथे दिन होती है माँ कुष्‍मांडा कि पूजा आईये जानते है कैसे करें पूजा, विधि मंत्र और आरती 


नवरात्र के चौथें दिन दुर्गा जी के चतुर्थ रूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है आदिशक्ति दुर्गा के कुष्मांडा रूप में चौथा स्वरूप भक्तों को  सुख प्रदान करने वाला है।   संस्कृत भाषा में कूष्मांड कूम्हडे को कहा जाता है, कूम्हडे की बलि इन्हें प्रिय है, इस कारण से भी इन्हें कूष्‍मांडा के नाम से जाना जाता है। आज के दिन पहले मां का ध्यान मंत्र पढ़कर उनका आहवान किया जाता है और फिर मंत्र पढ़कर उनकी आराधना की जाती है ।


माँ कूष्‍मांडा तेज की देवी :-


माता कूष्‍मांडा तेज की देवी हैं। इन्हीं के तेज और प्रभाव से दसों दिशाओं को प्रकाश मिलता है। कहते हैं क‍ि सारे ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में जो तेज है वो देवी कूष्मांडा की देन है। आइए जानते हैं कैसा है मां का यह स्‍वरूप, कैसे करते हैं मां के इस रूप की पूजा ।

माँ कूष्‍मांडा को प्रसन्न कैसे करें :-


कूष्मांडा का मतलब है कि जिन्होंने अपनी मंद (फूलों) सी मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया। माना जाता है कि मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कूष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं।


माँ कूष्‍मांडा का उज्ज्वल स्वरूप :-


माँ कूष्‍मांडा का स्‍वरूप मंद-मंद मुस्‍कुराहट वाला है। कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तो देवी भगवती के इसी स्‍वरूप ने मंद-मंद मुस्‍कुराते हुए सृष्टि की रचना की थी। इसीलिए ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा और आदिशक्ति हैं।माँ कूष्‍मांडा के इस दिन का रंग हरा है। मां के सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्‍प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है। वहीं आठवें हाथ में जपमाला है, जिसे सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली माना गया है। मां का वाहन सिंह है। मां भगवती का चौथा स्‍वरूप यानी कि देवी कुष्‍मांडा भक्‍तों पर अत्‍यंत शीघ्र प्रसन्‍न होती है। यदि सच्‍चे मन से देवी का स्‍मरण किया जाए और स्‍वयं को पूर्ण रूप से उन्‍हें समर्पित कर दिया जाए तो माता कुष्‍मांडा भक्‍त पर अतिशीघ्र कृपा करती हैं।



माँ कूष्‍मांडा की पूजा विधि :-


पूजा की विधि शुरू करने से पहले हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर इस मंत्र "सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्‍मांडा शुभदास्तु मे "। माता का बुध ग्रह पर अधिकार है इसलिए उनका प्रिय रंग हरा है। इस दिन व्रती सुबह-सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर के माता की पूजा हेतु उनकी मूर्ति स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। मूर्ति का गंगा जल से शुद्धिकरण करें। फिर उनको सिंदूर, हल्दी, चन्दन, रोली, दुर्वा और लाल चुनरी अर्पित करें। फिर धूप-दीप जला कर उनको प्रसाद अर्पित करें। संस्कृत में कुष्मांड को कद्दू बोला जाता है, इसलिए माता को कद्दू से बना पेठा प्रसाद के रूप में जरुर चढ़ाएं। व्रती को इस मंत्र के जाप से विशेष फल प्राप्त होता है।

माँ  कुष्मांडा को  भोग कैसे लगाए :-

देवी कुष्मांडा लगाए गए भोग को प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करती हैं। यह कहा जाता है कि मां कुष्मांडा को मालपुए बहुत प्रिय हैं इसीलिए नवरात्रि के चौथे दिन उन्हें मालपुए का भोग लगाया जाता है।

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माँ कूष्‍मांडा की स्तुति मंत्र :-


 सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।


माँ कूष्‍मांडा सप्तशति मंत्र :-


या देवी सर्वभू‍तेषु
मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमो नम:।।

माँ कुष्‍मांडा की आरती :-

चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते।।

जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका ।।


आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप ।।

इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप ॥


कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार ।।
पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार ॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार ।।
उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार ॥


सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए ।।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए ॥


नवरात्रोंमै या मां कृपा कर दो माँ ।।

नवरात्रों वर की मां कृपा करदो मां ॥

जय मां कूष्मांडा मैया।।
जय मां कूष्मांडा मैया ॥







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