जाने कब है छठ पूजा ,नहाय खाए, खारना,और सूर्य अर्घ्य
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Chhat puja in hindi |
छठ पूजा 2021 [ chhat puja in 2021 ] छठ पूजा पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तरप्रदेश मे बहुत धूम धाम से मनाया जाता है छठ पूजा बिहार का प्रमुख्य त्यौहार है कहा जाता है कि छठ पूजा बिहार के लोगो कि संस्कृती बन चुकी है। उन लोगो कि बहुत आस्था जुड़ी है। वास्तव मे कहा जाए तो बिहार मे छठ पूजा के दिन छठ घाटों का नजारा देखते ही बनता है और इससे पता चलता है कि छठ पूजा के प्रती बिहार मे लॉगो कि कितनी आस्था और विश्वास है । छठ पूजा दीपावली के 7 वे दिन मनाया जाता है। छठ पूजा की शूरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के पषठि से यानि छठी तिथि से हो जाती है। यह पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है ।
इस बार छठ पूजा 8 नवंबर 2021 से शुरू होके 12 नवंबर 2021 तक है।
• छठ पूजा विशेष
• छठ पूजा शुभ तिथी
• छठ पूजा का महत्व
• छठ पूजा कथा
• छठ पूजा विधि
छठ पूजा विशेष :- सनातन धर्म मे छठ पूजा विशेष महत्व है हिन्दू पंचांग के अनुसार छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के 6 वे तिथी से शुरू हो रहा है, दीपावली पर्व बीतने के 7वे दिन बाद मनाया जाने वाला यह पर्व बहुत हि अलौकिक एवं धार्मिक है, इस पर्व कि धार्मिक महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाय जा सकता है की औरते 36 घंटे बिना अन्न जल ग्रहण किये उपवास करती है , 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व मे कई तरह की पूजा बिधि होती है।
छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव के प्रति अपने समर्पण को दर्शाना है , इस पूजा मे उगते सूर्य को अर्घ्य देना आवश्यक है तभी पूजा सम्पन्न मानी जाती है घंटो नदी तालाब मे औरते खड़ा होकर सूर्य देव का इंतजार करती है और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने पूजा को सम्पन्न करती है । छठी माता को सूर्य देव की मानस बहन कहा गया है।
छठ पूजा शुभ तिथी :- इस बार छठ पूजा 8 नवंबर 2021 से शुरू होकर 12 नवंबर 2021 तक है। 8 नवंबर से नहाय खाये शुरू होके फिर अगले दीन खारना, और फिर अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देके पूजा का समापन होता है।
छठ पूजा का महत्व :- हमारे भारतवर्ष मे सूर्य उपासना के कई प्रसिद्ध पर्व है जो अलग अलग राज्यों मे अलग अलग रीती रिवाजो से मनाये जाते है, और सबका अपना अलग महत्व है और मनाने का तरीका पूजा विधि अलग है छठ पूजा का मुख्य रूप इस पूजा धार्मिकता स्वछता और भावनात्मक एवं आध्यात्मिक रूप से लोगो का जुडाव है,सामूहिक रूप से लोग इक्ट्ठा होकर छठ घाटों की सफाई और छठ घाट जाने वाले रास्तो कि सफाई करते है सब लोग अपने सेवा भाव से करते है ।
इस पूजा का मुख्य आकर्षण कच्चे बांस कि टोकरी मे गन्ने का रस, तरह तरह के फलों से लद्दी टोकरी ठेकुआ,और दीपक से सजी टोकरी के साथ भोजपुरी मे छठ गीत जब कानों मे गूंजती है तो वह क्षण बहुत हि अलौकिक होता है छठ घाटों पे लोगो का भीड़ देखते हि बनती । बहुत हि मनमोहक और भक्तिमय नजारा होता है ।
छठ पूजा कथा :- छठ की पौराणिक उत्पति की बहुत सी कथाएं प्रचलित है।
एक कथा के अनुसार एक राजा थे "प्रियवद" जिनकी कोई संतान नहीं थी तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर दी इसके प्रभाव से उनको पुत्र रत्न कि प्राप्ती हुई। लेकीन वह मृत्यु पैदा हुआ। राजा प्रियवद मृत्यु पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग मे प्राण त्यागने लगे । उसी समय ब्रह्मा जी की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और कहा की सृष्टि के मूल प्रवृति के छठे अंश से उतपन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूँ । हे राजन्! आप मेरी पूजा करें तथा लोगो को पूजा के लिए प्रेरित करें । राजा ने पुत्र की इच्छा लेके पूजा किया तो राजा को पुत्र रत्न कि प्राप्ति हुई । और तभी से यह पूजा छठ पूजा के रूप मे प्रचलीत हुई।
इस पूजा को निसंतान दाम्पती संतान प्राप्ति के लिए बहुत ही भक्ती भाव के साथ करता है । और छठ मैया लोगो की मनोकामना पूर्ण भी करती है ।
छठ पूजा विधि 2021 [ chhat puja vidhi 2021 ]
छठ पूजा प्रथम दीन :- छठ पूजा के पहले दीन नहाय खाये के रूप मे मनाया जाता है। इस दीन छठ की व्रत रखने वाली स्त्रीया स्नान कर पवित्र शाकाहारी भोजन कर व्रत का शुरुआत करती है । इस दीन भक्त कोसी नदी मे डुबकी लगते है और उसका पवित्र जल घर लेके आते है ।
दूसरे दीन :- दूसरे दिन व्रतधारि स्त्रियां दिन भर उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करती है इसे खरना कहा जाता है । खरना मे मुख्यत:
गुड और चांवल से बनी खीर और रोटी का स्त्रियां सेवन करती है उसके पश्चात् पूरा परिवार भोजन ग्रहण करता है। स्त्रियां इस दिन भोजन ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रहती है।
तीसरे दीन :- तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के नाम से प्रचलीत है,पूरे दिन पूजा कि तैयारियां चलती है, घर मे एक उत्सव का माहौल होता है, प्रसाद के लिए "ठेकुआ" बनता है , छठ पूजा के लिए बॉस कि बनी हुई टोकरी मे पूजा से संबंधित सारी सामग्री रखी जाती है, था उस टोकरी को घर के पूजा स्थान पर रख दिया जाता है। शाम को सूप मे नारियल पाँच प्रकार का फल और पूजा कि अन्य सामग्रियां रख कर टोकरी मे रखते है, उसके बाद घर के पुरुष उस टोकरी को लेकर छठ घाट तक जाते है पीछे पीछे औरते गीत गाते हुए जाती है।
घाट पे जाके औरते नदी या तालाब मे घुटने भर पानी मे उत्तर कर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती है ।और परिक्रमा करती है, उसके बाद छठ स्थान पे पूजा अर्चना करती है । फिर वहां से जलते दीपक को लेकर टोकरी मे घर आती है ।
चौथे दीन :- चौथे दीन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है । चौथे दीन सुबह 4 से 5 बजे के बीच फिर महिलाये छठ घाट पे चली जाती है साथ मे पुरुष टोकरी लेके जाते है । और सुबह मे पूरा परिवार उपस्थित रहता है, महिलाये फिर घुटने भार पानी मे उत्तर कर सूर्य के निकलने का इन्जार करती है तथा सूर्य के निकलने पर कच्चे दूध से अर्घ्य देती है । और फिर परिक्रमा करके बाहर आती है। और छठ मैया कि पूजा अर्चना करके वहां पे उपस्थित लोगो को प्रसाद वितरण करके घर आती है । और फिर पारणा करती है ।। और इस तरह समाप्त होता है पवित्र छठ पूजा ।।
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